उत्तराखंड का परिचय

उत्तराखंड का परिचय

उत्तराखंड का परिचय
Ganesh
Saturday, 21 August 2021

उत्तराखंड का सूक्ष्म और महत्वपूर्ण परिचय ---

उत्तराखंड एक हिमालयी राज्य है जो भारत का 27वां राज्य है।

उत्तराखंड राज्य 9 नवम्बर 2000 को बना।

उत्तराखंड में तीन मण्डल है जिसके अन्तर्गत 13 जिले है

उत्तराखंड में तीन मंडल कुमाऊं, गढ़वाल और गैरसैंण मण्डल हैं।

उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून हैं।

उत्तराखंड का क्षेत्रफल 53483 वर्ग किलोमीटर है,

उत्तराखंड का परिचय


उत्तराखंड पर्वतो से घिरे हिमालय की गोद में बसा हुआ एक पहाड़ी राज्य है। यह प्राचीन काल से ही देवी देवताओ और ऋषि मुनियो आदि का निवास-स्थल या जप तप स्थल एवं तप साधना का केंद्र रहा है। 
उत्तराखंड को पुराणों में 'मानस खण्ड', 'केदार खण्ड' एवं 'कूर्माचल' नाम दिया गया है। उत्तराखंड के ऐतिहासिक राजनीतिक तौर पर यह ज्ञात होता है कि अल्मोड़ा के चन्द राजवंश और श्रीनगर के पंवार राजवंश से पहले इस क्षेत्र में कत्यूरी नामक एक विशाल राज्य था, जिसके अन्तर्गत आधुनिक कुमायूँ, गढ़वाल, रुहेलखण्ड और पश्चिमी नेपाल का डोरीगढ़ आते थे। इस राज्य का केन्द्र आधुनिक अल्मोड़ा जिले की कत्यूर घाटी में बैजनाथ के समीप स्थित कार्तिकेयपुर नाम का नगर था।
कत्यूरी-युग के अन्तर्गत कुमायूँ-गढ़वाल पर निम्न सात राजवंशों ने शासन किया

(क) बागेश्वर लेख से ज्ञात बसन्तनदेव का राजवंश 
(ख) बागेश्वर लेख से ज्ञात खर्परदेव का राजवंश 
(ग) बागेश्वर, पाण्डुकेश्वर और कंडारा लेख से ज्ञात निम्बर का राजवंश
(घ) पाण्डुकेश्वर और बागेश्वर लेख से ज्ञात सलोणादित्य का राजवंश
(ङ) बैजनाथ लेख से ज्ञात पाल-वंश
(च) क्राचल्लदेव और अशोकचल्ल का शासन
(छ) आसन्तिदेव का राजवंश कत्यूर वंश के पतन के फलस्वरूप

यह क्षेत्र ‘चन्द' और 'पंवार' शासकों के शासन के अधीन रहा। इसी बीच कुमायूँ और गढ़वाल के रूप में इसका विभाजन हो गया। 

16वीं शताब्दी में गढ़वाल में ‘पंवार' और कुमायूँ में ‘चन्द' राजवंशों का एक साथ शासन था। 
सन् 1771 में ‘प्रद्युमन शाह' का गढ़वाल और कुमायूँ सहित सम्पूर्ण उत्तराखंड क्षेत्र पर अधिकार हो गया। उत्तराखंड का अन्तिम शासक ‘प्रद्युमन शाह' को ही माना जाता है।

सन् 1790 में कुमायूँ पर नेपाली गोरखाओं का अधिकार हो गया। सन् 1815 में अंग्रेजों ने गोरखाओं को हराकर उत्तराखंड पर अपना अधिकार कर लिया। सन् 1815 में उत्तराखंड 'ईस्ट इण्डिया कम्पनी' के अधीन हो गया। 
सन् 1816 में अंग्रेजों और गोरखाओं के बीच एक संधि हुई जो कि 'संगोली संधि' कहलाई। 

सन् 1901 में जब ‘संयुक्त प्रान्त आगरा' एवं 'अवध' बना तो उत्तराखंड क्षेत्र को उसी में मिला दिया गया।


भारत को आजादी मिलने के बाद 'आगरा' एवं 'अवध प्रांत' 'उत्तर प्रदेश राज्य कहलाया।
भारत की आजादी की लड़ाई में उत्तराखंड के लोगों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। 
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् हुए युद्धों में उत्तर प्रदेश के 2334 जवान शहीद हुए जिसमें आधे से अधिक उत्तराखंड से थे। उत्तराखंड में करीब 3 लाख से अधिक भूतपूर्व सैनिक हैं। 
भारतीय सेना में उत्तराखंड की दो रेजीमेंट गढ़वाल रेजिमेंटकुमायूँ रेजिमेंट हैं।